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तेरे दर पे आया हूँ कुछ कर के जाऊँगा / साहिर लुधियानवी
Kavita Kosh से
तेरे दर पे आया हूँ कुछ कर के जाऊँगा
झोली भर के जाऊँगा या मर के जाऊँगा
मैं तेरे दर पे आया हूँ ...
तू सब कुछ जाने है हर ग़म पहचाने है
जो दिल की उलझन है सब तुझ पे रौशन है
घायल परवाना हूँ वहशी दीवाना हूँ
तेरी शोहरत सुन सुन के उम्मीदें लाया हूँ
तेरे दर पे
मैं तेरे दर पे आया हूँ ...
दिल ग़म से हैराँ है मेरी दुनिया वीराँ है
नज़रों की प्यास बुझा मेरा बिछड़ा यार मिला
अब या ग़म छूटेगा वरना दम टूटेगा
अब जीना मुशकिल है फ़रियादें लाया हूँ
तेरे दर पे
मैं तेरे दर पे आया हूँ ...