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तेरे नाम से नाम वालों में आये / सिया सचदेव
Kavita Kosh से
तेरे नाम से नाम वालों में आये
अंधेरों से अब हम उजालों में आये
ख़ुशी धो रही सहन ओ दिल आँसुओं से
पलट कर वो घर इतने सालों में आये
यूहीं साथ दोगे मेरा हर क़दम पर ?
जो चाँदी कभी मेरे बालों में आये
यक़ीं कर लिया था मेरी सादगी ने
ये दिल अब किसी की न चालों में आये
पका कर खिलाती थी हाथों से जो माँ
वो लज़्ज़त नहीं अब निवालों में आये