हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तेरे पकडूं घोड़े की लगाम जाण न दूं पिया नौकरी
छोड़ ए गोरी घोड़े की लगाम साथां के साथी म्हारे धुर गए
छूट गई घोड़े की लगाम आंसू तो गिरे हरियल मोर ज्यूं
तेरे पकडूं घोड़े की लगाम जाण न दूं पिया नौकरी
छोड़ ए गोरी घोड़े की लगाम साथां के साथी म्हारे धुर गए
छूट गई घोड़े की लगाम आंसू तो गिरे हरियल मोर ज्यूं