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तेरे बिना भरतार आड़ै जी लागै नहीं अकेली का / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों चाप सिंह की छुट्टी पूरी हो जाती है और जब वह वापिस अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार होता है तो सोमवती क्या कहती है-

प्रदेसां में चाल्य पड़या दिल तोड़ कै नार नवेली का
तेरे बिना भरतार आड़ै जी लागै नहीं अकेली का।टेक

हो चाहे कितना ए खेद बीर नै मर्दा नै के बेरा
तारे गिण गिण रात चली जा हो ज्या न्यूए सवेरा
बिना पति के ओड हवेली हो भूतां का डेरा
तेरे बिना रह घोर अंधेरा तूं दीपक महल हवेली का।

दिल की दिल में रहै पति बिना होता ना मन चाह्या
ओड उमर में छोड़ चल्या तूं कुछ ना खेल्या खाया
कुछ भी आच्छा लागै कोन्या धन दौलत और माया
तीज त्यौहार चले जां सुक्के मन लागै नहीं उम्हाया
मद जोबन में भरी सै काया मद पै फूल चमेली का।

हाळी बिन धरती सुन्नी बिना सवार के घोड़ी
बिना मेळ के कळह रहै नित घणी नहीं तै थोड़ी
जल बिन मीन तड़पकै मरज्या न्यूए बीर मर्द की जोड़ी
बिना पति के बीर की कीमत उठै ना धेला कौड़ी
बिन परखणीयां लाल किरोड़ी होज्या सस्ता धेली का।

सारी उमर बिता द्यूं मैं पिया तेरे गुण गा कै
याद रखिए कदे भूलज्या परदेस में जा कै
राजी खुशी की चिट्टी गेरिए खुश हो ज्यांगी पा कै
आवण की लिखैगा तै मैं गांऊ गीत उम्हा कै
मेहर सिंह कद रंग लूटैगा मद जोबन अलबेली का।