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तेरे बैरी तुझी में, हैं ये तेरे फ़ैल / गंगादास

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तेरे बैरी तुझी में, हैं ये तेरे फ़ैल ।
फ़ैल<ref>दुर्व्यसन</ref> नहीं तो सिद्ध है, निर्मल में क्या मैल ।।

निर्मल में क्या मैल, मैल बिन पाप कहाँ है ?
बिना पाप फ़िर आप, आपमें ताप कहाँ है ?

गंगादास परकास भय फ़िर कहाँ अंधेरे ?
और मित्र सब जगत फ़ैल दुश्मन हैं तेरे ।।

शब्दार्थ
<references/>