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तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं / शैलेन्द्र

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तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं
हो जहाँ भी ले जाएं राहें, हम संग हैं

तेरे मेरे दिल का, तय था इक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर, तय है फूल का खिलना
ओ मेरे जीवन साथी...

तेरे दुख अब मेरे, मेरे सुख अब तेरे
तेरे ये दो नैना, चांद और सूरज मेरे
ओ मेरे जीवन साथी...

लाख मना ले दुनिया, साथ न ये छूटेगा
आ के मेरे हाथों में, हाथ न ये छूटेगा
ओ मेरे जीवन साथी...