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तेरे लिए है आज बहुत बेक़रार दिल / जावेद क़मर
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तेरे लिए है आज बहुत बेक़रार दिल।
करता है शाम ही से तिरा इन्तेज़ार दिल।
जब से किसी ने अपनी नज़र मुझ से फेर ली।
रहने लगा है तब से बङा बेक़रार दिल।
वो कब करम करेगा नहीं इस का कुछ पता।
रोता है जिस की हिज्र में ज़ार-ओ-क़तार दिल।
जो बे वफ़ा है जिस को वफ़ा का नहीं है पास।
आवाज़ उस को देता है क्यों बार-बार दिल।
मैला इस आइने को बताते हो तुम अबस।
पहलू में है हमारे बहुत ताबदार दिल।
ऐ ज़िन्दगी पयाम-ए-मसर्रत सुना मुझे।
अब चाहता है क़ैद से ग़म की फ़रार दिल।
अब उस को याद कर के मैं रोता नहीं 'क़मर' ।
हर वक़्त जिस की याद में था सोगवार दिल।