नीलम सी साँझ
चांदी का चांद
तारों के दीप
सागर की सीप
  जोड़ी है मैंने तेरे लिए
  बस तेरे लिए।
कोयल् की कूज
झरणों की गूँज
स्वर्णिम सी भोर
किरणों की डोर
   बांधी है मैंने तेरे लिए
   बस तेरे लिए ।
छेड़े हैं साज 
वीणा के राग
सपनों के मीत
सावन के गीत
  गाए हैं मैंने तेरे लिए
  बस तेरे लिए । 
केसर की गंध
क्षितिज के रंग
सावन का मेह 
आँचल में नेह
  ओढ़ा है मैंने तेरे लिए 
  बस तेरे लिए । 
फूलों का हास
वासंती आभास
चातक की प्रीत
समर्पण की रीत
   चाही है मैंने तेरे लिए
   बस तेरे लिए ।
   बस तेरे लिए।