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तेरे वादों पे अगर एतबार आ जाये / गुलाब खंडेलवाल

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तेरे वादों पे अगर एतबार आ जाये
यों पलटकर न कोई बार-बार आ जाये

कुछ तो छलके तेरे प्याले में भरी है जो शराब
कुछ तो इस दर्दभरे दिल को क़रार आ जाये

तेरी ख़ुशबू से है तर बाग़ का पत्ता-पत्ता
क्यों न फिर हमको हरेक फूल पे प्यार आ जाये!

हमने हर मोड़ पे आँखों को बिछा रक्खा है
जाने किस ओर से सावन की फुहार आ जाये

हम न मानेंगे कभी दिल में भी उनके हैं गुलाब
रंग आँखों में भले ही हज़ार आ जाये