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तेरो हिरदै नराणू छौ / प्रीतम अपछ्यांण

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तेरो हिरदै नराणू छौ
पिड़ा म्येफर बौळेणी रे
वा अफवा कोरि सूणी क
सैरी दुनिया खौळ्येणी रे.
.
तेरी बाचम् बच्यांदा गौं
इ परबत दूड़ा देंदान्
मनों की गेड़ अळझीं ज्वा
त्यरा आँखर वो खोलदान्
मिठी गौळी छै विपदा मा
मेरी साँस बुजेणी रे. तेरो....
.
तेरी जिब्या मा बैठी की
गढ्वाळी चौंदिसों गैनी
वखा कै छां बथाणा कू
हमुन् त्यारै हि सौं खैनी
रतन भितर मशीनूं पर
दरद चखुली फ्वळेणी रे. तेरो....
.
ढुंगा डांडौं तका आँखा
त्यरै बारम् हेर्यां एकटक
द्यूळों थानुं विनती छै
हे द्यब्तौं दैणा होयां यख
भला कर द्या वुं हातूं तैं
खार्यूं हात ज्वडेणा रे. तेरो.....