भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेल चढ़ाने का गीत / राजस्थानी
Kavita Kosh से
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कांसी कटोरा रे मांय राय चमेली रो तेल।
तेल चढ़ावण जाय थांकी सूररजी ओ नार।
तेल चढ़ावण जाय थांकी चन्दरमाजी ओ नार।
तेल चढ़ावण जाय थांकी ईसरदासजी ओ नार।
हाथां में हरियो रूमाल गला में नौसर हार।
गला में नौसर हार फुलड़ा बीनन जाय।
तेल चढ़ावण जाय दाद्या और मांय
तेल चढ़ावण जाय ताई और काकियां
हाथां में हरियो रूमाल गला में नौसर हार।
गला में नौसर हार फुलड़ा बीनन जाय।
तेल चढ़ावण जाय भूवा और बहणा
तेल चढ़ावण जाय नानियां और मामियां
हाथां में हरियो रूमाल गला में नौसर हार।
गला में नौसर हार फुलड़ा बीनन जाय।