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तॊलिया,इजिचेअर ऒर वेटिंग-रूम / विनोद पाराशर
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मॆं-खूंटी पर टंगा
कोई तॊलिया तो नहीं
कि-
हर कोई आये
ऒर फिर चला जाये
अपने जिस्म को
मेरे जिस्म से रगडकर
छॊड जाये
अपने जिस्म के गंदे किटाणु
मेरे जिस्म पर।
मॆं-घर के कॊने में पडी
कोई ईजी-चेअर तो नहीं
कि-
हर कोई आये
ऒर फिर चला जाये
अपने भारी-भरकम शरीर को
कुछ देर
मुझ पर पटकर
यह भी न देखे
कि मेरी टांगें लडखडा रही हॆ।
मॆं-रेलवे-स्टेशन का
वेटिंग-रुम तो नहीं
कि-हर मुसाफिर
ट्रेन से उतरकर
मुझमें कुछ देर ठहरे
ऒर-फिर
चला जाये
नयी ट्रेन आने पर।