तोंद के लिए प्रार्थना / संजीव कुमार
तोंद का आग्रह भी
तोंद की तरह ही दुर्निवार है,
अगर शुरू हुआ बढ़ना एक बार
तो नहीं रुकने के अपने आग्रह को
बनाये रखेगी तोंद,
विघ्नहर्ता लंबोदर की हठधर्मिता सी
बढ़ती रहेगी पूजे जाने के आग्रह को लिये हुये।
बढ़ती हुई तोंद
सुख शान्ति और वैभव का
जीवन्त प्रतीक है, अनुपम रूप भी,
तोंद ही है सर्जना विकास की,
उसके गोलाकार रूप का
अग्रवर्ती उभार
मां धारित्री के सर्वमंगलकारी रूप की
छटा है अभिराम,
ब्रह्माण्ड में निहित अण्ड का
अधोभाग भी है तोंद,
पूर्ण से पूर्ण को घटा लेने के बाद भी
बच रहनेवाली पूर्णता है तोंद,
मंत्रसिद्ध और कामनाबिद्ध।
सबके लिए हो तोंद
तोंद की प्रतिस्पर्धा से बढ़े
अतुलनीय राष्ट्र हमारा
तोंदमय हो सर्वजन कल्याण धारा,
देश के जन जुडें जिससे
वह गोंद हो तोंद,
मनों में पिघल रही वसा
संचित हो जिसमें
वह कोष हो तोंद,
अनंतर सब प्रार्थनाओं के
बच रही जो वह कामना हो तोंद,
दिव्य, भव्य, दोलनकारी तोंदो से हो सज्जित,
अरुण यह मधुमय, तुंदिल देश हमारा।