तोड़-फोडक़र मुझे बना लो, प्रभु! अपने मन के अनुकूल।
रहने दो न किसी भी बाधक वस्तु-परिस्थितिको तुम भूल॥
तुरत छीन लो उस धनको, इज्जतको, जो बाधक हो अल्प।
कर दो ऐसा सारा सुख-विध्वंस, तुरत करके संकल्प॥
मेरे मनमें उठे कभी यदि तनिक कहीं ऐसा अभिलाष।
जो बाधक हो इसमें, कर दो तुरत, दयामय! उसका नाश॥
करने मत दो, हाथ-पैर-मुख-मनको ऐसा कोई काम।
जिससे तनिक तुम्हारी अविरत स्मृतिमें आये क्षणिक विराम॥