भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तोता-मैना / शिशुपाल सिंह 'निर्धन'
Kavita Kosh से
तोते से बोली मैना,
बनवा दो हमको गहना।
देखो मना न कर देना,
साथ तुम्हारे है रहना।
चेन, अँगूठी लाना हार,
तब समझूँगी सच्चा प्यार।
तभी आ गया घर में चोर,
मैना लगी मचाने शोर।
तोता बोला-सुन मैना,
अब गहनों को मत कहना।