भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तोता कहता नमस्कारजी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
सुबह-सुबह जल्दी से उठकर,
तोता कहता नमस्कारजी
छोड़ो आलस, बिस्तर त्यागो।
जागो रजनी, दीपक जागो।
सोने में अब नहीं सारजी।
तोता कहता नमस्कारजी।
नित्य क्रियाएँ, झटपट करना।
कसरत, योग, ध्यान कुछ करना।
दिनचर्या में हो सुधारजी।
तोता कहता नमस्कारजी।
दिनभर खेल, पढ़ाई करना।
नियमित अनुशासन में रहना।
सबसे अच्छा हो व्यवहारजी।
तोता कहता नमस्कारजी।
नहीं लड़ाई, झगड़ा करना।
आपस में मिल-जुलकर रहना।
करना सबसे खूब प्यारजी
तोता कहता नमस्कारजी।
खूब पढ़ो, अफसर बन जाओ।
श्रम करना, धन खूब कमाओ।
इज्जत बंगला मिले कारजी।
तोता कहता नमस्कारजी।