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तोप दागना / तस्लीमा नसरीन

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मेरे घर के सामने स्पेशल ब्रांच के लोग
चौबीसों घंटे खड़े रहते हैं
कौन आता है कौन जाता है
कब निकलती हूँ, कब वापस आती हूँ
सब कापी में लिखकर रखते हैं
किसके साथ दोस्ती है
किसकी कमर से लिपटकर हँसती हूँ
किसके साथ फुसफुसाकर बातें करती हूँ... सब कुछ

लेकिन एक चीज़ जिस वे दर्ज़ नहीं कर पाते
वह है - मेरे दिमाग़ में कौन-सी भावनाएँ
उमड़-घुमड़ रही है
मैं अपनी चेतना मे क्या कुछ सँजो रही हूँ

सरकार के पास तोप और कमान हैं
और मुझ जैसी मामूली मच्छर के पास है डंक


अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य