तोरण और मिजमानी के गीत / 4 / राजस्थानी
गीत-मिजमानी का (समधी की)
थे म्हारे आओ पांवणा, कोणई धणी जी करूं मनुहार,
ब्याई के घर जीमो राज, मिजमानी। थे तो मानो मिजमानी...
ऊंचा तो घालूं जी राज बेसणा, कोई दूध पखारूं जी पांव। सगा रे घर जीमो...
चांवल राधू ऊजला, कोई हरिया मूंगा की दाल। सगां रे घर जीमो...
भैंस दुहारु भोराज भूरड़ी, कोई गुदली सी रांधू खीर।
घी बरताऊं जी तोलड़ी जी राज, पापड़ तलूं ली पचास। सगा के...
बासठ, तिरेसठ राज सारेणा, कोई चौसठ ल्गया छै बघार। सगां के...
बीजापुर केा जीरान बीजणो, कोई झमक परोसूंली थाल। सगां के...
परसण वाली पद्मनी, कोई झांझर रे झणकार, संगा के...
जलभर झारी जी सोवणी, कोई जीमे गंगाजल नीर, जीम्या तो जूट्या सब,
रुच रह्या जी कोई जीम्या सब नर नार। संगा के...
बनड़ा बनड़ी दोनू जीमो, सीखां देवां मनमानी सगां रे घर मिजमानी...