तोरऽ हमरऽ साथ / खुशीलाल मंजर
तोरऽ हमरऽ साथ देखीकेॅ
कहिनें ई रं लोग जरै छै
नै जानौं केकरेऽ की घटलै
कहिनें ई रं लोग हँसे छै
बातऽ रऽ बेबात बनैतौं
सब लोगऽ रऽ एक्के चाल
स मै रऽ तेॅ कारे मुँह छै
खौजलेॅ हेरलें कुच्छ लाल
सब बूझै छै सभ्भै आबेॅ
लागलौ जेनां कि अनठाय छै,
तोरऽ हमरऽ साथ देखी केॅ
कत्त दिन तक है रं चलतौं
आभियो तेॅ तोहें आबऽ बाज
हैर नें अपनां केॅ समझऽ
तनियो टा ता राखऽ लाज
सदरा सदरी बात करऽनीं
कनफुसकी में राज बिकै छै
तोरऽ हमरऽ साथ देखी केॅ
जहॉ देखऽ वाँही हल्ला
खूब जमाय छऽ आपनऽ बात
आपनऽ खंजड़ा खूब बजाय केॅ
काम बनाय छऽ रातो रात
समझी लेॅ समझाबऽ नैं
झीटकी सें घैलऽ भाँगै छै
तोरऽ हमरऽ साथ देखी केॅ
ऐंतौ मौका जखनी पूछबौं
अखनी तेॅ मढ़री झाड़ै छऽ
सूरजऽ के देखी केॅ कहिनें
ईरं दीया की जारै छऽ
धज्जी उड़तौं तोरो एक दिन
है बुड़क्की रऽ की दबाय छै
तोरऽ हमरऽ साथ देखी केॅ
कहिने ई रं लोग जरै छै