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तोरा बिना जिनगी अंगार लागै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
तोरा बिना जिनगी अंगार लागै छै।
तोरा बिना जरलोॅ कपार लागे छै।
सुबह सेॅ साँझ ताँय,
साँझ-से सुबह ताँय
हलचल बड़ी जोर
ठप-ठप-ठप चूयै छै
आँखी से लोर।
ऊपर सें पछिया बयार लागै छै।
तोरा बिना जिनगी अंगार लागै छै।
तोरा बिना जरलोॅ कपार लागे छै।
घटा घटी उमैडे छै।
बुंदा बुँदी बरसै छै।
तोरा लेली दिल हमरोॅ
रही-रही तरसै छै।
पिछला तस्वीर हे टंकार लागै छै।
तोरा बिना जिनगी अंगार लागै छै।
तोरा बिना जरलोॅ कपार लागे छै।
तनियों टा नै हर्श छै।
पल-पल संघर्श छै।
दुबर्ल शरीर छै,
सुविधा फकीर छै।
पेन्शन कुबेर केॅ भंडार लागै छै।
तोरा बिना जिनगी अंगार लागै छै।
तोरा बिना जरलोॅ कपार लागे छै।
23/06/15
बड़की भौजी के एकदश कर्म 09 बजे