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तोरा बिना जिनगी गमगीन लागै छै / कस्तूरी झा 'कोकिल'

तोरा बिना जिनगी गमगीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मलीन लागै छै।
घोॅर दुआर वैहिनै छै,
चौकी पलंग वैहिनै छै।
लोग वेद बुतुरू वैहिनै छै।
तोरा बिना सब कुछ श्रीहीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी गमगीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मलीन लागै छै।
साँझ विहान, पहले रंग।
चान सुरुज पहले रंग।
धूप छॉह, पहले रंग।
हवा वयार, पहले रंग।
तोरा बिना हमरोॅ मोॅन उछीन लागै छै,
तोरा बिना जिनगी गमगीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मलीन लागै छै।

देर सबेर खाना छै।
कखनूँ नहाना छै।
नींदे नैं आबै छै,
करबट बदलना छै।
तोरा बिना रात हमरा संगीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी गमगीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मलीन लागै छै।
केकरा सें बोलियै जी?
मोॅन रौ बात खोलियै जी?
भीतरे भीतरे हुमड़ै छीयै,
केन्हो केॅ जीयैं छीयै,
तोरा बिना समैया कठिन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी गमगीन लागै छै।
तोरा बिना जिनगी मलीन लागै छै।

22/06/15, दोपहर एक बजे