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तोरा बिना मोॅन हे! / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
तोरा बिना मोॅन हे! बेचैन लागै छै।
तोरा बिना पहाड़ हे! दिन रैन लागै छै।
पूछै छै फूचो
अयभौ तों कैहिया?
बोलऽ नीं बाबा!
कहाँ दादी मैइया?
सच्चे में सब्जी हे! लोहरैन लागै छै।
तोरा बिना मोॅन हे! बेचैन लागै छै।
तोरा बिना पहाड़ हे! दिन रैन लागै छै।
आँखी में राखी केॅ
सूतै छीहौं रात केॅ।
बड़ा कठिन लागै छै,
कटना बरसात केॅ।
जगला पर व्याकुल हे! दोनों नैन लागै छै।
तोरा बिना मोॅन हे! बेचैन लागै छै।
तोरा बिना पहाड़ हे! दिन रैन लागै छै।
सब कुछ में चेहरा,
तोरे देखाबै छै।
डेग-डेग काम बहुत,
तनियों नैं भाबै छै।
कानों करेजा में तीर हे! बादल केॅ बैन लागै छै।
तोरा बिना मोॅन हे! बेचैन लागै छै।
तोरा बिना पहाड़ हे! दिन रैन लागै छै।