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तोरा बिना सावन / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
तोरा बिना सावन खूँखार लागै छै।
करेजा में बरछी बौछार लागै छै।
रिमझिम फुहार
गरम पानी जूकाँ।
मूसलधार बरसा
नागिन नानी जकाँ।
रही-रही बिजली टंकार लागै छै।
तोरा बिना सावन खूँखार लागै छै।
करेजा में बरछी बौछार लागै छै।
ठनका जब ठनकै छै
फाटै छै कान।
बादल जब हुमड़ै छै
काँपे छै प्राण।
हवा केॅ झकोरा फुफकार लागै छै।
तोरा बिना सावन खूँखार लागै छै।
करेजा में बरछी बौछार लागै छै।
जब सें बिछुड़ली छौ,
घुरी नैं अयली छौ।
थक्की केॅ बैठलॅ छी।
कहाँ नुकैली छौ?
कजरी, चौपाल सब अंगार लागै छै।
तोरा बिना सावन खूँखार लागै छै।
करेजा में बरछी बौछार लागै छै।