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तोरा बिना सुतला पर / कस्तूरी झा 'कोकिल'

तोरा बिना सुतला पर झोली उठैतै केॅ?
आँख मुँह धुवाय केॅ बोलऽ खिलैतै केॅ?
गरम-गरम दाल भात आरो तरकारी पर,
हाली-हाली बिनियाँ अब बोलऽ डोलैतै केॅ?
तर-तर पसीना सें तितला बिछौना केॅ
ताबड़ तोड़ पंखा सेॅ बोलऽ सुखैतै केॅ?
चैतैह मेॅ गरमीॅ तूफान मारै छै।
तोरा बिना धरती अब बोलऽ चटैतै केॅ?
तनीं-मनीं सुतला पर कोयलीॅ जगाबै छै?
तोरा बिना मारी अब बोलऽ भगैतै केॅ?

8 अप्रैल 2016, संवंत-2073