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तोरे ददा बाबू देसपति के राजा अउ काहे गुन रहे गा कुँवारा / छत्तीसगढ़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तोरे ददा बाबू देसपति के राजा
अउ काहे गुन रहे गा कुंवारा
हरदी के देस दीदी
हरदी महंगा भइगे, अउ परी सुकाल भइगे
इही गुन रहेंव ओ कुंवारा

करसा के देस दीदी
करसा महंगा भइगे, बिजना सुकाल भइगे
इही गुन रहेंव ओ कुंवारा

हरदी के देस दीदी
चाउंर महंगा भइगे, अउ पर्ण भइगे सुकाल
इही गुन रहेंव ओ कुंवारा

करसा के देस दीदी
मंगरोहन महंगा भइगे, गुड़रा भइगे सुकाल
इही गुन रहेंव ओ कुंवारा