तोरोॅ साथ / वारिद
घरे घरेॅ जहाँ देखोॅ आय हे दीदी घरे घरेॅ
पोतोहू मलकायन भेलै, सास नौड़ी धाय हे दीदी घरे घरेॅ ।
पोतोहू पलंग पर सास बोढ़ै ऐंगनोॅ
बेटा के तेॅ चलती में नौड़ी हुवेॅ ऐहनोॅ
बेटा के राजोॅ में रोजे गोबर ठोकै माय हे दीदी घरे घरेॅ ।
जे बेटा के लेली करेॅ माय काशी-करबट
‘की बेटा, की हाय बेटा’ माय के मुँहोॅ में रहेॅ
वहूँ बेटा नै समझै छै माय केॅ तेॅ माय हे दीदी घरे घरेॅ ।
जे बेटा के लेली दीदी रात-दिन मरलां
देवता-पित्तर दीदी बारो महीना करलां
वही बेटा सीधा मुँहोॅ नै बोलै छै आय हे दीदी घरे घरेॅ ।
जे बेटा के खैनें बिनु कहियो नै खैलां
बेटा केॅ खैला के बादे मुँह धोलां, नहैलां
वहूँ बेटा बूढ़ारी में समझै बलाय हे दीदी घरे घरेॅ ।
जे बेटा केॅ अँचरा में राखलाँ नुकाय केॅ
लागेॅ नै नजोॅर दीदी बेटा केॅ झँपाय केॅ
वहीं बेटा घरै सें ही निकालै छै आय हे दीदी घरे घरेॅ ।
जे बेटा केॅ पोसलाँ की आसरा लगाय केॅ
सुखलोॅ छाती हे दीदी खूनोॅ केॅ पिलाय केॅ
वहू बेटा समझै छै बहुए केॅ माय हे दीदी घरे घरेॅ ।