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तोरोॅ है प्रेम हमर प्राण छिकै / कैलाश झा ‘किंकर’

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तोरोॅ है प्रेम हमर प्राण छिकै ।
हमरोॅ जीवन केॅ ई बिहान छिकै ।।

तोरोॅ बोली मेॅ जे मिठास घुलल,
प्रेम गीतोॅ के मधुर तान छिकै ।

ई अदा केॅ नै छै जवाब कोनो,
दिल केॅ हर रोग केॅ निदान छिकै ।।

तोरोॅ केशो ग़ज़ल लगै एहन,
कोनो शायर केॅ आन-बान छिकै ।।

प्रेम दीपोॅ सेॅ सजल जे आँचरा,
कोनो ‘किंकर‘ के ऊ गुमान छिकै ।।