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तोर लुगरा के अंचरा म / लक्ष्मण मस्तुरिया
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तोर लुगरा के अंचरा मा मैं रइहव बंधके
तोर खोपा मा फुन्दरा रइहव बनके
तोर धोती के किनारे मैं रइहव बनके
तोर पागा मा कलगी रइहव बनके
तोला छोड़व नहीं संगी, अइसन झन हो उदास
तैं तो मीठ लबरा भारी, तोर का हे बिस्वास
मोर सपना के घर ला मैं बनाहव मनके
तोर खोपा मा फुन्दरा रइहव बनके
तोर रेंगना बताथे, मोला मारत हावस तैं
तहूँ कम नईयस संगी, तोला जानत हाबव मैं
मोला का हे मैं संगी तोरेच रइहव बनके
मोला का हे मैं संगी तोरेच रइहव बनके
तोर धोती के किनारे मैं रइहव बनके
तोर पागा मा कलगी रइहव बनके