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तोसे नज़र लड़ी, सजना रे / शैलेन्द्र

तोसे नज़र लड़ी, सजना रे
मेरे मन सुई गड़ी, सजना रे
दिल की कसक बढ़ी, सजना रे
प्यार की आग लगानेवाले, दिल का चैन चुरानेवाले
अब मत आँख चुरा तू हमसे, मत तड़पा तड़पानेवाले
बइयाँ थाम अपना रे
तोसे नज़र लड़ी …

याद आएँ जब तेरी बातें, आँखों में कटती हैं रातें
अंदर जलता है मन मेरा, बाहर पड़ती हैं बरसातें
क्या मैं करूँ बतला रे
तोसे नज़र लड़ी …

क्या अपने और क्या बेगाने, कोई मन का मर्म ना जाने
दिल में हरदम बसनेवाले, क्या है छुपा तू तो सब जाने
कैसे हैं ये अंगारे
तोसे नज़र लड़ी …

(फ़िल्म - बेग़ाना 1963)