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तोहफ़ा / मनजीत टिवाणा / हरप्रीत कौर
Kavita Kosh से
मैं उससे डरती हूँ
और वह मुझसे ।
वह जब भी प्लास्टिक के
फूल लेकर आता है
मैं रोशनदान में छिप जाती हूँ
जब वह वापस चला जाता है
मैं प्लास्टिक के उन फूलों को सूँघती हूँ ।
आज
आम दिनों से अलग
जब वह असली फूल लेकर आया
मैं रोशनदान से गिर पड़ी ।
पंजाबी से अनुवाद : हरप्रीत कौर