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तोहर दरस मुख छूटत सखि हे / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तोहर दरस मुख छूटत सखि हे, जखन जायब हम गाम
तखन मदन जीव लहरत सखि हे, कि देखि करब ज्ञान
बिसरि देत नहि बिसरत सखि हे, तुअ मुख पंकज प्राणे
विरह विकल तन फलकत सखि हे, छन-छन झूर झमाने
जौं हम जनितौं एहन सन सखि हे, हरि हेता आन समान
कथी लेल नेह लगाओल सखि हे, आब ने बचत मोर प्राण
भनहि विद्यापति गाओल सखि हे, धैरज धरू ब्रजनारि
सब सँ धैरज यैह थिक सखि हे, पलटि आओत दिन चारि