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तोहे जब ताँय छेल्हौ / कस्तूरी झा 'कोकिल'

तोहेॅ जब ताँय छेल्हो, गुमान लागै हमरा।
असकल्लोॅ आबेॅ बीरान लागै जियरा।
रही-रही हकरै छीयै
दिन रात कुहरै छीयै
दिल केॅ दरदिया हेॅ
कहियै हम्मेॅ केकरा?
तोहेॅ जब ताँय छेल्हो, गुमान लागै हमरा।
असकल्लोॅ आबेॅ बीरान लागै जियरा।
छटपट परान लागै,
सुखलॅ धरान लागै।
भूख प्यास भूलैला सेॅ
मुरझैलॅ चेहरा।
तोहेॅ जब ताँय छेल्हो, गुमान लागै हमरा।
असकल्लोॅ आबेॅ बीरान लागै जियरा।
बूढ़ा बड़ा भार छै,
पैसा सेॅ प्यार छै।
मतुर सब कामों लेॅ
बंनाबै छै मोहरा।
तोहेॅ जब ताँय छेल्हो, गुमान लागै हमरा।
असकल्लोॅ आबेॅ बीरान लागै जियरा।
आरो,
नूनँ लेॅ जीयै छीहौॅ
पानी-कॉनी पीयै छीहौॅ
भजन भाव भोला केॅ
भागै छै खतरा।
तोहेॅ जब ताँय छेल्हो, गुमान लागै हमरा।
असकल्लोॅ आबेॅ बीरान लागै जियरा।

20/10/15 पौने चार बजे भोर