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तो क्या लौट चलें / गीत गुंजन / रंजना वर्मा
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राह मुश्किल है बियावां है तो क्या लौट चलें ?
सफर में साथ ना सामां है तो क्या लौट चलें ?
खुदा के घर से ही हम
तो हैं अकेले आये,
बंद मुट्ठी में हैं किस्मत
की लकीरें लाये।
राह रहजन से पशेमां है तो क्या लौट चलें ?
राह मुश्किल है बियावां है तो क्या लौट चलें ?
हम अकेले हैं तो क्या
सामने जमाना है ,
हमें खुद अपनी ही
हिम्मत को आजमाना है।
दूर मंजिल है परेशां है तो क्या लौट चलें ?
राह मुश्किल है बियावां है तो क्या लौट चलें ?
लौट जाने से क्या
दुश्वारियाँ मिट जायेंगी ?
हार जाने से तमन्नायें
क्या खिल पायेंगी ?
सिर उठाए चुनौतियाँ हैं तो क्या लौट चलें ?
राह मुश्किल है दिया हुआ है तो क्या लौट चलें ?