भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तो पानी निकलेगा / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक पत्थर भी मैंने तोड़ लिया
तो पानी निकलेगा

एक पत्थर भी जो उठ सकता हो
जो जवाब देता हो
जिस पर धूल बैठती हो
जो बरसात के ठीक बाद
गीला रहता हो।