Last modified on 5 जुलाई 2016, at 13:19

तौ यहु आल्हा सुनौ हमार / प्रदीप शुक्ल

हुद हुद के चलतै शहरन मा, है पुरवय्या औ बौछार
खाली बईठे हौ तुम पंचै, तौ यहु आल्हा सुनौ हमार!!

आजु बतकही राजनीति कै, जहिकी बातन कै ना छ्वार
पूरे देश म एकुई पट्ठा, चारिउ तरफ रहा ललकार!!

जऊने चैनल मा तुम द्याखौ, उज्जरि दाढ़ी परी देखाय
हरियाणा मा पानी पी पी, हुड्डा क नाकों चना चबवाय!!

बाकिन का कुछु समझि न आवै, कौनो वहिते पार न पाय
पानी पियति देखि मोदी का, कौनो हुड्डा क दिहिस सुझाय!!

दिन भर मा दस लीटर पानी, मोदी भईय्या जाति डकारि
दस लीटर पानी का पैसा, गिनिकै जल्दी लेउ निकारि!!

फिरि द्याखौ चुनाव खर्च मा, वहिका काहे नहीं देखाव
हियाँ गरीब क मुहुँ सूखा है, एतना पानी तुम पी जाव!!

पानी ते हमका यादि आवा, पिछिले बरसि के या है बात
सूखी नहरैं महाराष्ट्र की, बिन पानी के फसल सुखात!!

दौरे दौरे सब किसान तब, पहुँचे अजित पवार के पास
दादा बोले मूति देई का, चमचा हँसि क किहिन उपहास!!

बात धरे सारे मतदाता, आयो बच्चू हमरे द्वार
अबकी तुमका देखि ल्याब हम, केतनी बड़ी तुम्हारि है धार!!

औरी बातैं फिरि औउरे दिन, आजु क किस्सा एतनै आय
भग्गू काका तुमहू ब्वालौ,अब तो हम हैं रहेन चियाय!!