भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

त्यौहार के दिन / लीलाधर मंडलोई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


फिजाओं में खुश्‍बू का मेला
रंगीनियां बिखरी हुई हैं
बाजार सज-धज के खड़े
हवाओं में नगमे रोशन

बच्‍चों के लिए आज तो
दिन है मौज मस्‍ती का

मां कहती है लेकिन
आज घर के बाहर न निकलना

आज त्‍यौहार का दिन है
आज मां घबराई हुई है
00