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त्रस्त मधुमास / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

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प्यार उल्लास है।
आज रस रास है।

है समन्दर डरा,
प्यास ही प्यास है।

चन्द्र है उल्लसित,
चाँदनी पास है।

राग है केन्द्र तो
गीत परिव्यास है

राज्य पावस प्रखर
रवि हुआ दास है।

मुक्त आतंक है
शान्ति निर्वास है।

मस्त पतझार है,
त्रस्त मधुमास है।