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त्रिशंकु / नवनीत पाण्डे

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माना हमने गलती की
तुम्हें सर चढाया
अपने कंधे बैठाया
पर क्या करते?
इसके सिवा चारा न था
कोई दूसरा चमकीला तारा न था
तारा, जो दिखाता हमें
हमारे सपनों का एक बड़ा तारा
पर तुमने तो
निगल लिया खुद को ही
सूरज बनने की चाह में
त्रिशंकु
सूरज रहे न तारा
अब क्या विचार है तुम्हारा
माना- हमने गलती की
तुम्हें सर चढाया
इसलिए नहीं कि तुम
हमें बौना कर दो
हम बौने
हा! हा! हा!
देखो! अच्छी तरह देखो!
तुम्हारी ही जमात के अन्य तारे
तुम से दूने चमक रहे हैं
तुम्हें देख रहे हैं- त्रिशंकु