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थकान / संजय कुंदन
Kavita Kosh से
यह कहना गलत है कि
वह चलते-चलते थक गया है
या काम करते-करते
उसे हँसा-हँसा कर थकाया गया है
रोज नियम से एक ही राग सुना-सुना कर
थका दिया गया है
एक दिन वह इतना थक जाएगा कि
इनकार करना भूल जाएगा
तब एक जुआरी आएगा
और उसे अपने साथ ले जाएगा
फिर उसे दाँव में हार जाएगा
तब उसे राजा खरीद सकता है
और अपना बाजा बना सकता है
ये जो इतने उत्सव हैं,
लोगों को थका डालने के लिए हैं
इतनी रोशनी
इतना संगीत
इतनी छूट
इतने सौगात
एक दिन कोई सौदागर तुम्हें मुफ्त में
अपने बड़े-से झूले पर बिठा देगा
और कहेगा - आप खुशकिस्मत हैं
आप चुने गए हजार लोगों में से
इस खास मौके के लिए
जब तुम झूलते-झूलते थक जाओगे
वह कहेगा - अब घर जाने की क्या जरूरत है,
आप यहीं रह जाएँ
क्यों न आप भी
एक झूला बन जाएँ।