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थको न आस के पंछी उड़ान बाक़ी है / मयंक अवस्थी
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थको न आस के पंछी उड़ान बाक़ी है
उदासियों का अभी आसमान बाक़ी है
निगाहें नाज़ को इकरार तक पहुँचने दे
समझ की नींव पढ़ी है मकान बाक़ी है
मजारे दिल में पढ़ी हसरतों को सोने दे
सफ़र के बाद सफ़र की थकान बाक़ी है
धरम की जात की दीमक सवाल पूछे है
बताओ क्या अभी हिन्दोस्तान बाक़ी है
सियाह रात में आंधी सवाल पूछेगी
मेरे चिराग तेरा इम्तिहान बाक़ी है