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थक गई है नज़र फिर भी उम्मीद है / बी. आर. विप्लवी
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थक गई है नज़र फिर भी उम्मीद है
उनका आना टला टल गई ईद है
सोचता ही रहा तुम तो ऐसे न थे
कहके आते नहीं किसकी तक़ीद है
ख़त पढूं ख्वाब देखूं कि ज़िंदा रहूँ
वो न आँखें न वह ताक़ते दीद है