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थम पंछीड़ा / हरीश बी० शर्मा
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अरे
थम पंछीड़ा
ढबज्या
देख
सूरज रो ताप बाळ देवैलो।
बेळू सूं ले सीख
कै उड बठै तांई
जित्ती है थारी जाण
जित्ती है थारी पिछाण
आमआदमी
जिको नीं जाणै
मांयली बातां
गांव री बेळू ने सोनो
अर पोखरां में चांदी बतावे।
सन् सैंताळिस रै बाद हुया
सुधार गिणावै
नूंवै सूरज री अडीक राखै
अर अंधारो ढोवै।
छापै में छपी खबरां
पढ़ै अर चमकै
बो आम आदमी है।