भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

थांरी ओळयूं / नरेन्द्र व्यास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टिमटिमांवता तारां में
जगमगांवती
धोळी चांदणी री
चून्दड़ ओढ्यां
सहळांवतीं
थांरी ओळयूं
म्हारौ लिलाड चूम'र
नींद सूं भारी
आंख्यां में
दे जावै
जाणै कितरा सुपनां।

भोर री
पैली किरण्यां नै
साथै लेय'र बै
खिंड जावै
म्हारै बगीचै री
बण'र चितराम
थारै ई रूप रा
अणथाग मोवणा।