भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
थारी गाथा / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
काया बांधण नै लाया
कांकण डोरड़ा
मन बांधण नै लाया
थारै मौड़
म्हे
थनै लेवण नै नीं आया हा मां
लेवण नै आया
मूंघौ दायजौ
बरी-बेस
एक पगरखी
थारी गाथा
मौड़ सूं पगरखी तांई
पसरियोड़ी है