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थारी भोळावण / कमल रंगा
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सुपनां रै रंगां राच्योड़ी
बणी-ठणी थूं
कद बदल लियो भेख
ठाह ई नीं पड़ी
म्हैं तो अजैं ई ऊभो हूं
सागी भेख लिया
सागी उडीक
थारी भोळावण पाण।