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थारै ताण / सांवर दइया
Kavita Kosh से
एक रुत हुवै
सोरम भरै मन में
मन में तूं हुवै
तो पछै तूं ई है कांई
आ रुत
मुळकै फूल
पाकै पळ
बाजै पत्ता
आळस मरोड़ै बेलां
लखावै
चौफेर एक संगीत
तूं हुवै जणा मन में
थारै बिना
ईं होणै रो अरथ कांईं
तूं ई बता
‘
लै जाण
है थारै ताण
रुत रा रंग रूड़ा !