थारै लांबा जोड़ूं हाथ / हरीश भादानी
थारै लांबा जोड़ू हाथ
उनाळा थिड़ी-थिड़ी कर ऊभ
पगलिया लेले रे
थारी मावड़ लू बळता खीरां सूं
सींचीं सगळी रेत जी
थारी आंधी बैनड़ रा रोळा सुण
रूस्या रसिया खेत जी
पाळसियै में जंवरा पूजूं
क्वारै हाथ कळसिया ढोळदूं
म्हारौ जतनां चींत्यौ थाळ
तीज रौ घी सीज्यौड़ौ खीच
आमली लेले रे
थारै लांबा जोडं़ ू हाथ......
म्हारी भातौ लेजाती भावज रौ
रूड़़ो रूप ममोलियो
कोढ़ी तावड़ियो भरै चूंटिया
घुरड़ै घिरै रांधी राब
राव में मोळी- मोळी छाछ
सबड़का लेले रे
थारै लांबा जोडूं हाथ.......
म्हारौ अणमण पिणघट खड़ो उडीकै
सोनलदै पणिहार नै
म्हारी खूंटी चढ़ियौड़ी ईढाणी
जोवै है सिणगार नै
जे तूं बोलै तो चौभाटे
रोटी पेड़ा ढाळ दूं
म्हारै आंगणियै रमझोळ
मटक्यां मांडयौड़ी अणमोल
उतारौ लेले रे
थारै लांबा जोड़ं हाथ
उनाळा थिड़ी-थिड़ी कर ऊभ
पगलिया लेले रे