दुश्वारियों के थार में
उग आते हैं हौसले
अक्सर थोर की तरह
किसी सहारे की आस बिना
अभावों का सूखापन,
आलोचनाओं की लू
और संघर्षों की तीखी धूप में
थोर-क्षीर की तरह
समेट लेते हैं सबकुछ
ज़िन्दा रहने की ज़िद
और जद्दोजहद में ।
थार में जीवन
थोर होने में है
थिर होने में नहीं !!