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थाळी-थाळी निपटगी खीर / अशोक जोशी 'क्रान्त'
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थाळी-थाळी निपटगी खीर
टळिया-टळिया रैग्या पीर।
थांरी थाळी थर री खीर
जण अब मांगै कैड़ौ सीर।
ओळूं में झरता दिन-रात
नीं थाकै नैनां रा नीर।
कीकर ढाका थांरा पोत
थांरौ बागौ लीरालीर।
मन मरजी रा रसिया मीत
कद जाणै कळियां री पीर।