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थूं-6 / रामेश्वर गोदारा ग्रामीण
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म्हैं नी देख्या
कणा ई
इतरा उतार-चढाव
बळबंट, नदियां सूं दूणा-तीणा
भलाईं कितरी ई टेढी-मेढी होज्या
पण थूं जाणै है
थंा री गत-दुरगत
म्हैं अड़ूवौ नी हूं
आ म्हारै बांथी भरले ।